राजकीय महाविद्यालय बिथ्याणी में कार्यशाला का आयोजन।

यमकेश्वर।
महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय बिथ्याणी
यमकेश्वर पौड़ी गढ़वाल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आभासी माध्यम से किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ आयोजक प्रभारी प्राचार्य डॉ गिरिराज सिंह द्वारा किया किया गया। कार्यशाला में मुख्य वक्ता डॉ अमित कुमार जयसवाल प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष शिक्षाशास्त्र श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर गोपेश्वर चमोली रहे। प्रोफेसर डॉ अमित ने सूचना के अधिकार को निम्न प्रकार बताते हुए छात्र/छात्राओं का मार्गदर्शन किया ।
सूचना के अधिकार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
वैश्विक स्तर सूचना के अधिकार को एक नई पहचान तब मिली जब वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स को अपनाया गया। इसके माध्यम से सभी को मीडिया या किसी अन्य माध्यम से सूचना मांगने एवं प्राप्त करने का अधिकार दिया गया।
अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जैफरसन के अनुसार, “सूचना लोकतंत्र की मुद्रा होती है एवं किसी भी जीवंत सभ्य समाज के उद्भव और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।”
भारतीय लोकतंत्र को मज़बूत करने और शासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से आज दिनांक 13/10/2025को महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय bithyani यमकेश्वर पौड़ी गढ़वाल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आभासी माध्यम से किया गया ।कार्यशाला का शुभारंभ आयोजक प्रभारी प्राचार्य डॉ गिरिराज सिंह द्वारा किया किया गया । कार्यशाला में मुख्य वक्ता डॉ अमित कुमार जयसवाल प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष शिक्षाशास्त्र श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर गोपेश्वर चमोली रहे। प्रोफेसर अमित ने सूचना के अधिकार को निम्न प्रकार बताते हुए छात्र/छात्राओं का मार्गदर्शन किया ।
सूचना के अधिकार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
वैश्विक स्तर सूचना के अधिकार को एक नई पहचान तब मिली जब वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स को अपनाया गया। इसके माध्यम से सभी को मीडिया या किसी अन्य माध्यम से सूचना मांगने एवं प्राप्त करने का अधिकार दिया गया।
अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जैफरसन के अनुसार, “सूचना लोकतंत्र की मुद्रा होती है एवं किसी भी जीवंत सभ्य समाज के उद्भव और विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।”
भारतीय लोकतंत्र को मज़बूत करने और शासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से भारतीय संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 लागू किया।
*सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005*
सूचना का अधिकार (Right to Information-RTI) अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे नागरिकों को सूचना का अधिकार उपलब्ध कराने के लिये लागू किया गया है।
इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है, यह सूचना 30 दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्था की गई है। यदि मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
इस अधिनियम में यह भी कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण अपने दस्तावेज़ों का संरक्षण करते हुए उन्हें कंप्यूटर में सुरक्षित रखेंगे।
प्राप्त सूचना की विषयवस्तु के संदर्भ में असंतुष्टि, निर्धारित अवधि में सूचना प्राप्त न होने आदि जैसी स्थिति में स्थानीय से लेकर राज्य एवं केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की जा सकती है।
इस अधिनियम के माध्यम से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद व राज्य विधानमंडल के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और निर्वाचन आयोग (Election Commission) जैसे संवैधानिक निकायों व उनसे संबंधित पदों को भी सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया है।
इस अधिनियम के अंतर्गत केंद्र स्तर पर एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 या 10 से कम सूचना आयुक्तों की सदस्यता वाले एक केंद्रीय सूचना आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। इसी के आधार पर राज्यों में भी एक राज्य सूचना आयोग का गठन किया जाएगा।
इसके अंतर्गत सभी संवैधानिक निकाय, संसद अथवा राज्य विधानसभा के अधिनियमों द्वारा गठित संस्थान और निकाय शामिल हैं।
राष्ट्र की संप्रभुता, एकता-अखण्डता, सामरिक हितों आदि पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली सूचनाएँ प्रकट करने की बाध्यता से मुक्ति प्रदान की गई है।
सूचन के अधिकार के उद्देश्य के तहत
पारदर्शिता लाना जवाबदेही तय करना नागरिकों को सशक्त बनाना भ्रष्टाचार पर रोक लगाना लोकतंत्र की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना है
RTI की कुछ प्रसिद्ध उपलब्धियां रही जैसे जिसमें कुछ घोटाले प्रमुख है
2G घोटाला यह घोटाला उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग का सबसे प्रमुख उदाहरण है। इस घोटाले के कारण भारत सरकार को 1,76,645 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। उल्लेखनीय है कि यह बड़ा घोटाला तब सामने आया जब एक RTI कार्यकर्त्ता ने अधिनियम का उपयोग कर इसके खिलाफ एक RTI दायर की।2010 कॉमनवेल्थ गेम घोटाला
एक गैर-लाभकारी संगठन द्वारा दायर एक RTI से पता चला था कि दिल्ली सरकार ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिये दलित समुदाय के कल्याण हेतु रखे गए फंड से 744 करोड़ रुपए निकाले थे। साथ ही RTI से यह भी सामने आया कि निकाले गए पैसों का प्रयोग जिन सुविधाओं पर किया गया वे सभी मात्र कागज़ों पर ही थीं
प्रोफेसर अमित ने उपर्युक्त सूचना के अधिकार से संबंधित जानकारी प्रदान करते हुए अपने व्याख्यान को समाप्त किया कार्यशाला का संचालन डॉ नीरज नॉटियाल ने किया किया ।
इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार की उपस्थिति सराहनीय थी।कार्यशाला का समापन आभासी माध्यम से प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ) योगेश कुमार शर्मा द्वारा प्रोफेसर अमित को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए किया।

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